प्रबर्धकों में विरूपण से क्या तात्पर्य है ? संक्षेप में लिखिए ।
आज के इस आर्टिकल में हम पढ़ेंगे की प्रबर्धकों में विरूपण से क्या तात्पर्य होता है ? विरूपण कितने प्रकार के होते हैं या प्रबर्धकों में डिस्टॉरशन की विवेचना कीजिए । प्रबर्धकों में विरूपण एक महत्वपूर्ण क्वेश्चन है जो आपके एग्जाम में कई बार पूछा गया है इसलिए इस प्रश्न को आप जरूर याद करें लें ।
प्रश्न. प्रबर्धकों में विरूपण से क्या तात्पर्य है ? संक्षेप में लिखिए ।
उत्तर- व्यवहार में यह पाया जाता है कि किसी भी प्रवर्धक के निर्गत सिग्नल का तरंग रूप ठीक निवेशी सिग्नल के तरंग रूप जैसा नहीं होता है । निवेशी सिग्नल के तरंग रूप से निर्गत सिग्नल के तरंग ग्रुप में किसी भी प्रकार के परिवर्तन को विरूपण कहते हैं ।
इसके होने का कारण ट्रांजिस्टर अभिलाक्षणिकताओं की अपूर्णता अथवा परिपथ में सक्रिय अवयवों की उपस्थिति का होना है ।
किसी भी प्रवर्धक में निम्नलिखित तीन प्रकार के विरूपण हो सकते हैं
आयाम विरूपण
आवृत्ति विरूपण
कला विरूपण
1.आयाम विरूपण(Amplitude distortion) – आयाम विरूपण के होने के कारण ट्रांजिस्टर की गतिक अन्योन्य अभिलाक्षणिकता का अरैखिक होना है ।
2. आवृत्ति विरूपण( Frequency distortion)- यदि प्रबंधक द्वारा सभी निवेशी आवृत्तिओं का प्रवर्धन बराबर - बराबर नहीं होता है तो निर्गत सिग्नल में आवृत्ति विरूपण होता है । इस विरूपणता का कारण परिपथ में विभिन्न सक्रिय अवयवों जैसे - प्रेरकत्व, धारिता,आदि की उपस्थिति का होना है । आवृत्ति विरूपण के कारण किसी भाषण अथवा गाने को परिवर्तित करके पुनरावृति करने पर वह मूल भाषा या गाने से भिन्न प्रतीत होता है ।
3. कला विरुपण(Phase distortion)- यदि किसी प्रवर्धक के निर्गत सिग्नल में विभिन्न आवृत्तियों के बीच कलांतर ठीक सिग्नल के बराबर नहीं रहता है तो उसमें कला विरुपण का होना कहा जाता है । इसके उपस्थिति होने का कारण प्रवर्धन परिपथ में विभिन्न युग्मन सक्रिय अवयवों जैसे प्रेरकत्व व धारिताओं का होना है जिससे निर्गत सिग्नल में कला परिवर्तन हो जाता है । कला विरूपण,दृश्य आवृतियों मैं बहुत अधिक महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इनका प्रचालन ही तरंग आवर्ती पर निर्भर करता है । R - C युग्मित प्रवर्धक में विरूपण सबसे कम होता है ।
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