प्रतिरोध प्रतिघात एवं प्रतिवाधा में अंतर स्पष्ट कीजिए

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प्रतिरोध प्रतिघात एवं प्रतिवाधा में अंतर स्पष्ट कीजिए

प्रतिरोध प्रतिघात एवं प्रतिवाधा में अंतर स्पष्ट कीजिए


प्रिय विद्यार्थियों आज की इस महत्वपूर्ण पोस्ट में हम जानेंगे प्रतिरोध, प्रतिघात एवं प्रतिवाधा मे क्या अंतर होता है । यदि आप भी गूगल पर सर्च कर रहे हैं प्रतिरोध ‚ प्रतिघात  एवं प्रतिवाधा में अंतर स्पष्ट कीजिए तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं क्योंकि आपको इस पोस्ट में प्रतिरोध, प्रतिघात एवं प्रतिवाधा से संबंधित संपूर्ण जानकारी दी जाएगी ।

 प्रश्न 01:- प्रतिरोध ‚ प्रतिघात एवं प्रतिवाधा में अंतर स्पष्ट कीजिए

उत्तर- प्रतिरोध प्रतिघात एवं प्रतिबाधा में निम्नलिखित अंतर है -


प्रतिरोध

प्रतिघात

प्रतिवाधा

किसी चालक द्वारा धारा के मार्ग में डाले गए अवरोध को प्रतिरोध कहते हैं

प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में प्रेरक कुंडली अथवा संधारित्र के द्वारा धारा के मार्ग में डाले गए अवरोध को प्रतिघात कहते है

प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में ओमीय प्रतिरोध प्रेरक कुंडली एवं संधारित्र में से दो या दो से अधिक के द्वारा धारा के मार्ग में उत्पन्न अवरोध को प्रतिबाधा कहते हैं

इसका मान प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति पर निर्भर नहीं करता है

इसका मान प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति पर निर्भर करता है

इसका मान भी प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति पर निर्भर करता है

इसे R से प्रदर्शित करते हैं

इसे X से प्रदर्शित करते हैं

इसे Z से प्रदर्शित करते हैं


प्रश्न 02:- LR,aCके लिए निम्नलिखित ज्ञात कीजिए

  1. परिणामी वोल्टता

  2. परिपथ की प्रतिवाधा

  3. परिणामी वोल्टता और धारा के बीच का अंतर

                   अथवा

एक प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में प्रेरकत्व L वा प्रतिरोध R श्रेणी क्रम में जोड़े हैं परिपथ की प्रतिवाधा एवं अधिकतम धारा के लिए व्यंजक ज्ञात कीजिए


उत्तर- माना प्रतिरोध R प्रेरकत्व L को श्रेणी क्रम में प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में जोड़ा गया है किसी क्षण t पर परिपथ में आरोपित प्रत्यावर्ती वोल्टता को निम्न समीकरण के द्वारा व्यक्त किया जाता है

           V= V०Sinओमेगा t




V= V०Sinओमेगा t परिणामी वोल्टता - माना परिपथ में रहने वाली धारा I तथा प्रतिरोध के सिरों के बीच बोलता तथा प्रेरकत्व के सिरों के होबीच वोल्टता VL हो तो

            VR.= IR---------2

             VL = IXL………3 


VRऔर धारा I समान कला में है  किंतु I वोल्टता VL से 90° पश्चगामी  होती है अतः VR और VL के मध्य कला 90° होगी


इसे निम्न आलेख में प्रदर्शित है


तब पाइथागोरस प्रमेय.     

    V2= VR2 + VL2

      V = √VR2 + VL2

    V = √ I2 R2 + I2 XL2

      V = I √  R2 + XL2----------4

                      चुंकि XL=ओमेगा L

      V= I √  R2 + ओमेगा² L2

              

           यही परिणाम ही बोल्टता है


प्रतिबाधा - समीकरण 4 से


      V / I = √  R2 + ओमेगा² L2


इसे प्रत्यावर्ती धारा परिपथ की प्रतिबाधा कहते हैं तथा इसे Z से प्रदर्शित करते हैं


Z =  V / I = √  R2 + ओमेगा² L2

या

Z = √  R2 +ओमेगा² L2


लान्तर - यदि I और V के बीच कालांतर हो तो


tanफाई= VL/VR

tanफाई= IXL/IR

tanफाई= XL/R

tanफाई=ओमेगा L/R

फाई = tan-¹ (ओमेगाL/R)


धारा - इस प्रकार LR परिपथ में बहने वाली धारा  को निम्न समीकरण के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है


      I= I०Sin (ओमेगा t+फाई)


 जहां    फाई = tan-¹ (ओमेगाL/R) 


   I=  ‌V/Z   V/√ R² + ओमेगा² L2


तथा अधिकतम मान


  I०=  ‌   V०/√ R² + ओमेगा² L2      ans    


प्रश्न03:- अपचायी और उच्चायी ट्रांसफार्मर में अंतर स्पष्ट कीजिए


उत्तर-  अपचायी और उच्चायी ट्रांसफार्मर में निम्नलिखित अंतर है

अपचायी ट्रांसफार्मर

उच्चायी ट्रांसफार्मर

यह प्रत्यावर्ती वोल्टेज को घटाता है

यह प्रत्यावर्ती वोल्टेज को बढ़ाता है

इसकी द्वितीय कुंडली में फेरों की संख्या प्राथमिक कुंडली में फेरों की संख्या से कम होती है

इसमें द्वितीय कुंडली में फेरों की संख्या प्राथमिक कुंडली में फेरों की संख्या से अधिक होती है

यह धारा की प्रबलता को बढ़ा देता है

यह धारा की प्रबलता को घटा देता है

इसका परिणामन अनुपात 1 से कम होता है

इसका परिणामन अनुपात 1 से अधिक होता है


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