देश में बढ़ते हुए भ्रष्टाचार पर दो नागरिकों के मध्य संवाद
प्रिय विद्यार्थियों आज की इस पोस्ट में हम एक महत्वपूर्ण संवाद देखने वाले हैं जिसमें 2 नागरिक के देश में बढ़ते हुए भ्रष्टाचार पर एक दूसरे से संवाद कर रहे हैं । देश में बढ़ते हुए भ्रष्टाचार पर दो नागरिकों के मध्य संवाद । संवाद करने का एक विशेष तरीका होता है देश में बढ़ते हुए भ्रष्टाचार पर दो नागरिकों /विद्यार्थियों के मध्य संवाद नीचे दिया गया है ।
दीपक- मित्र रंजन! कहाँ से चले आ रहे हो?
घनश्याम -अरे, क्या बताऊँ? बिजली घर के दफ्तर से आ रहा हूँ।
दीपक -क्यों, क्या बात हो गई?
घनश्याम - बात तो कुछ नहीं हुई, ये दो हजार रुपए का बिजली बिल आया था, जबकि हर बार यह पाँच-छह सौ रुपए का होता था।
दीपक- क्या उन्होंने बिल ठीक कर दिया?
घनश्याम- उनके मुँह तो खून लग गया है। पहले तो सुनते ही नहीं हैं और ज्यादा कहो तो पाँच सौ रुपए रिश्वत माँगते हैं।
दीपक - क्या रिश्वत देने के लिए हाँ कर आए हो?
घनश्याम -क्या करूँ, कुछ समझ नहीं आता। मन तो नहीं करता, पर कोई और उपाय भी नहीं सूझ रहा।
दीपक - उपाय तो है। मैं बताता हूँ। इससे काम भी हो जाएगा और बिल-क्लर्क के होश भी ठिकाने आ जाएँगे।
घनश्याम - मुझे बता, वह उपाय ।
दीपक - हम दोनों 'मुख्यमंत्री हेल्प लाइन' में चलकर उसकी शिकायत कर देते हैं।
घनश्याम - यही ठीक रहेगा। कभी न कभी तो हमें इस भ्रष्टाचार के विरुद्ध खड़ा होना
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