ज्योति जवाहर खंड काव्य का सारांश || ज्योति जवाहर खंड काव्य की कथावस्तु | Jyoti Jawahar khandkavya class 10th hindi up board

Hot Widget

Type Here to Get Search Results !

Subscribe Us

ज्योति जवाहर खंड काव्य का सारांश || ज्योति जवाहर खंड काव्य की कथावस्तु | Jyoti Jawahar khandkavya class 10th hindi up board

ज्योति जवाहर खंड काव्य का सारांश || ज्योति जवाहर खंड काव्य की कथावस्तु | Jyoti Jawahar khandkavya class 10th hindi up board


प्रश्न 1. 'ज्योति जवाहर' खंडकाव्य की कथावस्तु (सारांश) संक्षेप में लिखिए।

Or

ज्योति जवाहर खंड काव्य का कथानक संक्षेप में लिखिए ।

or

ज्योति जवाहर खंड काव्य का सारांश

Jyoti jawahar khand kavya, Class 10 jyoti jawahar khand kavya Clsss 10 Hindi important question 2022, Kaksha 10 kha dkavya,


उत्तर- श्री देवी प्रसाद शुक्ल 'राही' द्वारा रचित 'ज्योति जवाहर' नामक खंडकाव्य की कथावस्तु घटनाप्रधान न होकर भाव प्रधान है। इस खंडकाव्य में भारत के निर्माता, युगावतार पंडित जवाहरलाल नेहरू का विराट लोकनायक का रूप चित्रित हुआ है। कवि ने संपूर्ण कथानक को एक ही सर्ग में रचा है।

कथावस्तु का सारांश इस प्रकार है-


कथानक का प्रारंभ नायक में देवत्व और मनुजत्व के सम्मिश्रण से हुआ है। विधाता ने जवाहरलाल नेहरू पर अलौकिक व्यक्तित्व का निर्माण अपनी रचना का समस्त कौशल लगाकर किया है। विधाता ने इन्हें सूर्य से ज्योति, चंद्रमा से सुघड़ता, हिमालय से स्वाभिमान, सागर से मन की गहराई, वायु से गति और धरती से धैर्य लेकर दिव्य पुरुष के रूप में रचा है।

गुजरात प्रांत में जन्मे महात्मा गांधी के कर्मयोग सिद्धांत से प्रेरणा पाकर जीवन के संघर्ष की प्रेरणा लेते हैं। उन्हें गांधी जी का शुभाशीष सत्य, अहिंसा, दया, क्षमा, समानता, ममता आदि के रूप में उसी प्रकार प्राप्त हुआ है, जैसे राम को वशिष्ठ का शुभाशीष प्राप्त हुआ था।


महाराष्ट्र - महाराष्ट्र ने उन्हें वीर शिवाजी की तलवार के रूप में शक्ति प्रदान की, जिससे वह विदेशी शक्तियों से उसी प्रकार लोहा लेते रहे; जिस प्रकार वीर शिवाजी ने औरंगजेब से लोहा लिया था।

यह भी पढ़ें -
भाषा और बोली में अंतर
महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर
नाटक और एकांकी में अंतर


राजस्थान - राजस्थान वीर जवाहर को आन पर मिटने की अदा और संघर्षों से जूझने की मस्ती प्रदान करता है। हल्दीघाटी की माटी वीर जवाहर को स्वतंत्रता पर मिटने की भावना देती है।

  राजस्थान उन्हें भारत की संपूर्ण सांस्कृतिक, ऐतिहासिक धरोहर के रूप में आबू की पवित्र कला, वीर क्षत्राणियों का जौहर-व्रत, पन्नाधाय की स्वामीभक्ति और त्याग तथा मीरा का प्रेम में दीवानापन सौंपता है। वह उनको राणा सांगा, कुंभा जयमल और महाराणा प्रताप का शौर्य तथा त्याग प्रदान करता है।


सतपुड़ा - सतपुड़ा इन्हें दक्षिण का समस्त वैभव सौंपते हुए उच्च स्वर में भारत की अखंडता बताता है। सतपुड़ा के संत अय्यर से इन्होंने सत्याग्रह का महामंत्र प्राप्त किया है। कालिदास की भावुकता, कुमारिल की विलक्षण प्रतिभा, अंगारों की भाषा वाला फकीर मोहन तथा अकबर से लड़ने वाली 'चांदबीबी' जैसी महान विभूतियों को सतपुड़ा अपने हृदय में धारण किए हुए है। इन विभूतियों की समस्त विशेषताओं को वह नेहरू जी को समर्पित कर देता है।


बंगाल - बंगाल भी जवाहर पर अपना वैभव न्योछावर करने में पीछे नहीं है। कवियों के गीतों की मधुरता, चैतन्य की वाणी, शाहजफर की गजलें, विवेकानंद का आत्म दर्शन, जवाहर की वाणी में भरकर गुंजित हो रहा है। बंगाल दीनबंधु एण्ड्रूज, सुभाष, बंकिम चंद्र, टैगोर एवं शरतचंद्र का गौरव वीर जवाहर को सौंपकर गौरव का अनुभव कर रहा है।


असम - असम अपने जंगलों, पर्वतों और नदियों की प्राकृतिक सुषमा एवं साहित्य और संस्कृति की उपलब्धियों को तन-मन से वारता हुआ धन्य हो रहा है। रामायण के अनुवादक 'माधव कंदली' तथा 'मनसा' नामक भक्त-कवि के गीतों ने नेहरू जी के मन को शुद्धता प्रदान की है।


बिहार - बिहार गौतम बुद्ध की तपोभूमि है। यह सत्य, दया, अहिंसा, क्षमा, त्याग आदि का नंदनवन है। महावीर स्वामी की विभूति वैशाली नेहरू जी को मानवीय गुणों के मोती अर्पित करती है।

  समुद्रगुप्त की यशोगाथा आज भी विद्यमान है। समुद्रगुप्त के पुत्र चंद्रगुप्त ने भी अपनी वीरता से भारत का मस्तक कभी झुकने नहीं दिया। कलिंग को जीतने के बाद अशोक वैराग्य-भावना से ओत-प्रोत हो गए। इस प्रदेश की ये सभी घटनाएं नेहरू जी के व्यक्तित्व पर विशेष प्रभाव डालती हैं।


उत्तर प्रदेश - उत्तर प्रदेश अपनी कोख में वीर जवाहर को जन्म देकर धन्य है। मथुरा, वृंदावन और अयोध्या की गली-गली में चर्चा है कि आज राम और कृष्ण ने प्रयाग में जन्म लिया है। उत्तर प्रदेश तुलसी की राममयी वाणी, सारनाथ में बुद्ध के उपदेश, कबीर की आडंबरहीनता एवं सांप्रदायिक सौहार्द, सूर के गीतों का उपहार लिए इस महामानव का अभिनंदन करता है।


पंजाब - पंजाबी भी अपनी गौरवमयी परंपरा को सौंपते हुए जननायक जवाहर के व्यक्तित्व की अभिवृद्धि में योग दे रहा है। सिकंदर को स्वाभिमान का पाठ पढ़ाने वाले राजा पोरस का पौरुष, सिंधु घाटी की सभ्यता, गुरु नानक की वाणी आदि सब कुछ पंजाब वीर जवाहर को सौंप देता है।


कश्मीर - कश्मीर का सौंदर्य नेहरू जी को आकर्षित करता है तथा उन पर फूलों की वर्षा करता है।


कुरुक्षेत्र - कुरुक्षेत्र नेहरु जी को अर्जुन की संज्ञा से विभूषित करता है तथा अर्जुन से गांडीव उठवाकर दुर्योधन जैसे अत्याचारी व्यक्तियों को समाप्त करने का आदेश देता है।

  पराधीनता के पाश में जकड़ी दिल्ली मोहम्मद गौरी, चंगेज खां, तैमूर लंग की खूनी बर्बादी की स्मृतियों को नायक को सौंपने की कल्पना में ही कंपित हो जाती है, किंतु अकबर की हिंदू-मुस्लिम एकता की ज्योति को सौंपते हुए वह गौरवान्वित है। यमुना अपने संगम के राजा के अभिनंदन के लिए अपनी निधियों को न्योछावर करने संगम तक गई है। कवि नायक के व्यक्तित्व में संपूर्ण राष्ट्र की चेतना की झलक देखते हुए कहता है-


जब लगा देखने मानचित्र, भारत न मिला, तुमको पाया।

जब तुझको देखा नयनों में, भारत का चित्र उभर आया।।


निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि कवि श्री देवीप्रसाद राही जी ने 'ज्योति जवाहर' के कथानक के प्रतीकों के माध्यम से लाक्षणिक परिवेश में चित्रित करके, कथानक के आदि; मध्य और अंत को एकात्मता के सूत्र में पिरोकर, घटना प्रधान कथानकों की घिसी-पिटी परिपाटी से हटकर खंडकाव्य के कलेवर को मौलिक स्वरूप प्रदान किया है।


प्रश्न 2. 'ज्योति-जवाहर' खंडकाव्य के आधार पर लोकनायक पंडित जवाहरलाल नेहरू का चरित्र चित्रण कीजिए।


उत्तर- श्री देवी प्रसाद शुक्ल 'राही' द्वारा रचित 'ज्योति-जवाहर' नामक खंडकाव्य के नायक पंडित जवाहरलाल नेहरु हैं। कवि ने उन्हें 'संगम का राजा' कहा है। प्रस्तुत खंडकाव्य में कवि ने नायक के व्यक्तित्व को भारत की सांस्कृतिक, राजनीतिक, आर्थिक, साहित्यिक, धार्मिक और ऐतिहासिक विशिष्टताओं से समाहित करके नायक जवाहर के व्यक्तित्व में निम्नलिखित विशिष्टताओं को देखा है-


1. अलौकिक पुरुष - कवि ने जवाहरलाल नेहरू के व्यक्तित्व में अलौकिकता का समावेश किया है। वह दिव्य तत्वों से निर्मित अलौकिक पुरुष हैं। विधाता ने अपने रचना-कौशल से सूर्य से तेज, चंद्रमा से सुघड़ता, हिमालय से स्वाभिमान, सागर से गंभीरता, वायु से गति और धरती से धैर्य लेकर उनके व्यक्तित्व का निर्माण किया है। कवि ने उनके व्यक्तित्व को राम-कृष्ण के गुणों से संपन्न मानकर युगावतार का स्वरूप प्रदान किया है।


2. गांधीजी से प्रभावित - जवाहरलाल नेहरू महात्मा गांधी के सच्चे अनुयाई एवं शिष्य थे। उन्हें गांधीजी से सत्य, अहिंसा, उदारता, मानव-प्रेम, करुणा का आशीर्वाद उसी प्रकार प्राप्त हुआ था, जैसे राम को वशिष्ठ का शुभाशीष प्राप्त हुआ था। उन्होंने गांधीजी के कर्म-सिद्धांत से प्रेरणा पाकर अपने जीवन को कर्ममय बनाया है।


3. समन्वयकारी लोकनायक - 'ज्योति-जवाहर' काव्य में उनके विराट् व्यक्तित्व में भारत के संपूर्ण धर्मों, संस्कृति, दर्शन, कला, साहित्य और राजनीति के सभी रूपों का अपूर्व संगम मिलता है। वे जननायक, लोकनायक एवं युगपुरुष के रूप में चित्रित किए गए हैं।


4. राष्ट्रीय भावों के प्रेरक - जवाहरलाल नेहरू का व्यक्तित्व भारतीयों को राष्ट्रीय भावनाओं की प्रेरणा देने वाला है। उनके व्यक्तित्व में अशोक की युद्ध-विरक्ति, बुद्ध की करूणा, महावीर की अहिंसा, प्रताप का स्वाभिमान, शिवाजी की देशभक्ति और विवेकानंद के आत्म दर्शन की झलक दिखाई पड़ती है। भारत का कण-कण उन्हें त्याग और बलिदान से अभिमंडित कर रहा है, इसी भाव को व्यक्त करते हुए राही जी कहते हैं-


आजादी की मुमताज जिसे अपने प्राणों से प्यारी है।

उस पर अपनी मुमताजसहित यह शाहजहां बलिहारी है।।


उनके व्यक्तित्व में राष्ट्रीय चेतना और भावात्मक एकता के दर्शन होते हैं।


5. दृढ़ पुरुष - नायक जवाहरलाल में कठिनाइयों में धैर्य धारण करने की अद्भुत क्षमता है-


कांटों की नोकों पर खिलना, मेरे जीवन की शैली है।

मेरी दिनचर्या पर्वत से लेकर जंगल तक फैली है।।


वे ऊपर से सैनिक के शरीर के समान कठोर और अंदर से साधु के समान कोमल हैं।


6. नीतिज्ञ एवं स्वाभिमानी - नेहरू जी महान् राजनीतिज्ञ हैं। यह गुण उन्हें चाणक्य से प्राप्त हुआ था, जिनके सामने सिकंदर जैसा विश्व-विजेता मात खा गया। उन्होंने राजा पोरस से पौरुष का पाठ सीखा, जिसने सिकंदर को स्वाभिमान का पाठ सिखाया था।


7. गौरवमय अतीत के वास्तविक अधिकारी - प्रस्तुत खंडकाव्य में नेहरू जी को अतीत के गौरव के सच्चे अधिकारी के रूप में चित्रित किया गया है। भारत के भिन्न-भिन्न प्रांत अपनी-अपनी महान् परंपराएं, संस्कृति, चिंतन एवं अन्य उत्कृष्ट उपलब्धियां जवाहरलाल को समर्पित कर देते हैं।


  संक्षेप में कहा जा सकता है कि जवाहरलाल लोकनायक एवं युवावतार हैं, जिनमें अहिंसा, सत्य, मानव-प्रेम, करुणा, विश्व-बंधुत्व, शौर्य, स्वाभिमान, क्षमा आदि सभी गुण विद्यमान हैं। वे भारत की आत्मा हैं।


प्रश्न 3. 'ज्योति-जवाहर' खंड काव्य की ऐसी घटना का उल्लेख कीजिए जिसने आपको सर्वाधिक प्रभावित किया हो और क्यों?

या

'ज्योति-जवाहर' खंड काव्य के आधार पर कलिंग युद्ध का वर्णन कीजिए।


उत्तर- इस काव्य में वर्णित घटनाओं में कलिंग युद्ध और उसके परिणाम का मेरे हृदय पर विशेष प्रभाव पड़ा है; क्योंकि इसका अति मार्मिक वर्णन किया गया है। संक्षेप में इसका प्रसंग इस प्रकार है-


कलिंग युद्ध की घटना सम्राट अशोक के शासनकाल में हुई। यह घटना हृदय को कंपा देने वाली है। इस विध्वंसकारी युद्ध में रक्त की नदियां बह गई थीं, जिसमें आदमी मछलियों से तैरते दिखाई दे रहे थे। इस युद्ध में अस्त्र-शस्त्रों की भयंकर ध्वनि सुनाई पड़ती थी। हर तरफ त्राहि-त्राहि मची हुई थी। नरमुंड कट-कट कर धरती पर गिर रहे थे। न जाने कितनी माताओं की गोद सूनी हो गई और अगणित नारियों की मांग का सिंदूर पुछ गया था। अनेक बहनें अपने भाइयों की मृत्यु पर बिलख रही थीं। इस प्रकार के भयानक दृश्य को देखकर सभी का हृदय करूण क्रंदन करने लगता था।


  सम्राट अशोक ने जब इतना भयंकर नरसंहार देखा तो उसका हृदय करुणा से द्रवीभूत होने लगा। उसके अंतस्तल में दया का समुद्र हिलोरें मारने लगा। उसने यह प्रण किया कि वह अब कभी भी हिंसा न करेगा और न ही कोई युद्ध लड़ेगा। वह अपने मन में विचार करने लगा कि मेरे संकेत मात्र से न जाने कितने व्यक्ति काल के मुंह में समा गए हैं। उसका मन विचलित होने लगा। उसके हृदय में बैराग्य भाव जागृत हो गया।


   सचमुच कलिंग युद्ध और उससे प्रभावित अशोक का यह प्रसंग बड़ा ही रोमांचकारी, भावपूर्ण तथा भारतीय इतिहास की अन्यान्य घटनाओं में प्रभावकारी, प्रमुख तथा महत्वपूर्ण है।


  प्रस्तुत खंडकाव्य की कथा में कलिंग युद्ध के प्रसंग का बड़ा ही महत्व है। इसमें एक ओर तो अशोक को युद्ध में रत दिखाया है और दूसरी ओर युद्ध की अतिशयता तथा भीषण नरसंहार से उसके हृदय को बदलते और हिंसा को छोड़कर अहिंसक बनते दिखाया गया है। अशोक के द्वारा शांति और अहिंसा का संदेश दूर-दूर तक फैलाने का वर्णन किया गया है। जवाहरलाल नेहरु भी शांति के अग्रदूत तथा हिंसा के विरोधी थे। अशोक से संबंधित इस प्रसंग का वर्णन करके जवाहरलाल नेहरू के विचारों को अहिंसक बनाने का प्रयास कवि द्वारा किया गया है।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad