प्रकृति के 4 मूल बलो को समझाइए (4 fundamental forces of nature)

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प्रकृति के 4 मूल बलो को समझाइए (4 fundamental forces of nature)

प्रकृति के 4 मूल बलो को समझाइए (4 fundamental forces of nature)


प्रिय विद्यार्थियों आज के इस महत्वपूर्ण पोस्ट में हम जानेंगे प्रकृति में पाए जाने वाले चार मूल बल के बारे में ।प्रकृति में चार मूल बल पाए जाते हैं जो कि हैं गुरुत्वाकर्षण बल,विद्युत चुंबकीय बल,प्रबल नाभिकीय बल, क्षीण नाभिकीय बल । प्रकृति में पाए जाने वाले चार मूल बलों के बारे में हम इस पोस्ट के माध्यम से विस्तार से समझेंगे । यदि आपको यह पोस्ट पसंद आती है तो अपने सभी दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें ।
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बल को हम सभी अपने दैनिक जीवन में समय-समय पर अनुभव करते हैं किंतु अपने अनुभव से बल की वैज्ञानिक संकल्पना तक पहुंचने का कार्य न्यूटन द्वारा किया गया जिन्होंने गति के नियमों तथा गुरुत्वाकर्षण के नियमों को स्थापित किया ।


विविध प्रकार के बल जैसे घर्षण बल, उत्प्लावन बल, श्यान बल ,पृष्ठ तनाव, गुरुत्वाकर्षण बल, अंतरआण्विक बल तथा अंतर परमाण्विक बल विद्युत बल, चुंबकीय बल इत्यादि कुछ मूल बलों से ही उत्पन्न होते हैं । प्रकृति में चार प्रकार के मूल बल कार्यरत हैं ।

  • गुरुत्वाकर्षण बल

  • विद्युत चुंबकीय बल

  • नाभिकीय बल

  • दुर्बल ( क्षीण ) नाभिकीय बल


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गुरुत्वाकर्षण बल क्या है ?(Gravitational Force)

विश्व में किन्हीं भी दो पिंडों के मध्य उनके द्रव्यमानो के कारण लगने वाले बल को गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं ।
उदाहरण के लिए सूर्य के परिता ग्रहों की गति,ग्रहों के परिता उपग्रहों की ,पृथ्वी पर गिरते पिंडे की गति इत्यादि परी घटनाओं का अध्ययन इस बल की धारणा के द्वारा किया जाता है ।

गुरुत्वाकर्षण बल की विशेषताएं

1️⃣यह बल व्युत्क्रम वर्ग के नियम का पालन करता है ।

2️⃣यह सदैव आकर्षण बल होता है ।

3️⃣यह दीर्घ परास बल है अर्थात अनंत दूरी तक कार्य करता है ।

4️⃣यह केंद्रीय बल है ।

5️⃣यह संरक्षी बल है ।

6️⃣यह क्षीण बल है । स्थूल स्तर पर इसकी बड़ी भूमिका होती है ।

विद्युत चुंबकीय बल क्या है ? What is electromagnetic force?

दो स्थिर आवेशों के मध्य लगने वाले बल को स्थिर वैद्युत बल तथा दो चुंबकीय ध्रुव के मध्य बल को चुंबकीय बल कहते हैं - किंतु विद्युत तथा चुंबकीय बल एक दूसरे से संबंधित हैं उदाहरणार्थ गतिमान आवेश चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है तथा परिवर्ती चुंबकीय क्षेत्र से विद्युत प्रभाव उत्पन्न होता है । इसलिए व्यापक रूप में आवेशित कणों के मध्य लगने वाले बल को विद्युत चुंबकीय बल कहते हैं ।

विद्युत चुंबकीय बल की विशेषताएं

1️⃣यह बल व्युत्क्रम वर्ग के नियम का पालन करता है ।

2️⃣यह बल आकर्षण और प्रतिकर्षण दोनों प्रकार का होता है ।

3️⃣यह दीर्घ परास बल है ।

4️⃣यह केंद्रीय बल है ।

5️⃣यह संरक्षी बल है ।

6️⃣किसी निश्चित दूरी के लिए 2 प्रोटोनो के बीच गुरुत्वाकर्षण बल की तुलना में इसका मान 10 की घात 36 गुना अधिक प्रबल होता है |

यह बल तनाव, घर्षण ,कमानी बल इत्यादि के मूल में होता है ।

प्रबल नाभिकीय बल क्या है ? What is strong nuclear force

नाभिक के स्थायित्व के लिए न्यूक्लिआनों के मध्य आकर्षण बल होना आवश्यक है जो गुरुत्वाकर्षण बल नहीं हो सकता तथा प्रोटोन - प्रोटोन के मध्य लगने वाला प्रतिकर्षण बल गुरुत्वाकर्षण बल की तुलना में अत्यंत प्रबल है इन्हीं कारणों से एक नवीन बल की धारणा बनी जो विद्युत चुंबकीय बल से भी 100 गुना अधिक प्रबल है । यह बल नाभिक के स्थायित्व के लिए उत्तरदाई हैं ।

प्रबल नाभिकीय बल की विशेषताएं

1️⃣यह व्युत्क्रम वर्ग के नियम का पालन नहीं करता ।

2️⃣यह आकर्षण बल होता है ।

3️⃣यह अल्प परास बल है ।

4️⃣ यह केंद्रीय बल नहीं है ।

5️⃣यह संरक्षी बल नहीं है ।

6️⃣यह गुरुत्वाकर्षण बल से 10 की घात 38 गुना अधिक प्रबल है ।

दुर्बल नाभिकीय बल क्या है ? What is weak nuclear force

दुर्बल नाभिकीय बल केवल निश्चित नाभिकीय अभिक्रियाओं के दौरान प्रकट होते हैं । जैसे बीटा क्षय के दौरान एक इलेक्ट्रॉन तथा एक (अनावेशित) उत्सर्जित होते हैं इनके मध्य दुर्बल नाभिकीय बल कार्य करता है ।

दुर्बल नाभिकीय बल की विशेषताएं ?

1️⃣दुर्बल नाभिकीय बल गुरुत्वाकर्षण बल से प्रबल तथा विद्युत चुंबकीय बल व प्रबल नाभिकीय बल से अत्यंत क्षीण होता है ।

2️⃣यह एक अल्प परास (10 की घात -15 मीटर ) बल होता है ।


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