गणित शिक्षण में सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? गणित का अन्य विषयों से सह-सम्बन्ध पर प्रकाश डालिये।

Hot Widget

Type Here to Get Search Results !

Subscribe Us

गणित शिक्षण में सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? गणित का अन्य विषयों से सह-सम्बन्ध पर प्रकाश डालिये।

गणित शिक्षण में सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? गणित का अन्य विषयों से सह-सम्बन्ध पर प्रकाश डालिये।


Table of contents 

  • सह सम्बन्ध या समवाय से तात्पर्य
  • गणित शिक्षण में सह-सम्बन्ध
  • सह-सम्बन्ध के प्रकार
  • गणित का विज्ञान से सह-सम्बन्ध 
  • गणित का भूगोल से सह-सम्बन्ध
  • गणित का इतिहास से सह-सम्बन्ध
  • गणित का अर्थशास्त्र से सह-सम्बन्ध
  • गणित का भाषा से सह-सम्बन्ध
  • गणित का कृषि से सह-सम्बन्ध
  • गणित का मनोविज्ञान से सह-सम्बन्ध
  • गणित का दर्शनशास्त्र से सह-सम्बन्ध
  • गणित का चित्रकला से सह-सम्बन्ध
  • गणित का अभियांत्रिकी से सह-सम्बन्ध
  • गणित का तर्कशास्त्र से सह-सम्बन्ध
  • गणित का आयुर्विज्ञान से सह-सम्बन्ध

प्रश्न.गणित शिक्षण में सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? गणित का अन्य विषयों से सह-सम्बन्ध पर प्रकाश डालिये।

अथवा

'किसी भी विषय के अध्ययन में गणित का ज्ञान सहायक होता है।' विभिन्न विषयों पर सह- सम्बन्ध द्वारा इसे स्पष्ट कीजिये।

अथवा

गणित के अन्य विद्यालयीन विषयों से सह-सम्बन्ध बताइये।

अथवा

गणित के अन्य विद्यालयीन विषयों से सह-सम्बन्ध पर निबन्ध लिखिये।

अथवा

गणित का अन्य शालेय विषयों से सम्बन्ध एवं गणित के विभिन्न विषयों का आपस में सम्बन्धों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिये।

उत्तर- सह सम्बन्ध या समवाय से तात्पर्य- पाठ्यक्रम के विभिन्न विषयों को भिन्न-भिन्न खण्डों में नहीं बाँटा जा सकता। पाठ्यक्रम के विषयों को इस प्रकार व्यवस्थित करना चाहिये ताकि एक विषय के शिक्षण में दूसरे विषयों का ज्ञान सहायक हो। अतः जब पाठ्यक्रम के विषयों को इस प्रकार व्यवस्थित किया जाता है कि एक विषय के शिक्षण में दूसरे विषयों का ज्ञान सहायक होता है तो इसे सहसम्बन्ध या समवाय कहा जाता है। गुयाड के कथनानुसार, 'घटनाओं तथा विचारों का मानस पटल पर स्थायी एवं उपयोगी प्रभाव तभी पड़ता है, जब मस्तिष्क उनका अन्य आगन्तुक घटनाओं एवं विचारों के साथ व्यवस्थित संबंध स्थापित करता है।' अतः स्पष्ट होता है कि ज्ञान की अखण्डता, मस्तिष्क की अविभाज्यता तथा संबंधीकरण क्रिया को देखने से यह स्पष्ट हो जाता है कि एक विषय का दूसरे विषयों से सम्बन्ध स्थापित करना आवश्यक है। हरबर्ट का कहना है कि, 'पाठ्यक्रम के विषयों को इस प्रकार व्यवस्थित करना चाहिये, जिससे एक विषय के शिक्षण में दूसरे विषय का शिक्षण सहायक हो सके।

➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖

Read more -🔎

गणित किसे कहते हैं ( परिभाषा अर्थ और महत्व )

B.E.d Second Semester Syllabus PEDAGOGY -1 MATHMATICS

गणित की प्रकृति और क्षेत्र की विवेचना कीजिए

➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖

गणित शिक्षण में सह-सम्बन्ध - गणित शिक्षण में सह-सम्बन्ध आवश्यक है, क्योंकि मस्तिष्क भिन्न-भिन्न अनुभवों को पारस्परिक सम्बन्ध, तुलना व मिश्रण आदि करके ग्रहण करता है तथा सह-सम्बन्ध द्वारा ये सब सम्भव है। सह-सम्बन्धित शिक्षण से शिक्षण की कृत्रिमता दूर होती है व बालक वास्तविकता ग्रहण करने में समर्थ होते हैं। गणित जीवन का अभिन्न अंग है अतः कोई भी ऐसा विषय नहीं जिसका सम्बन्ध गणित से न हो। बेकन ने तो यहाँ तक लिखा है, 'गणित सभी विज्ञानों का प्रवेशद्वार एवं कुन्जी है।' 

सह-सम्बन्ध के प्रकार- सह-सम्बन्ध निम्नलिखित प्रकार का होता है-

गणित की विभिन्न शाखाओं में सह-सम्बन्ध - गणित की विभिन्न शाखाओं, अंकगणित, रेखागणित, बीजगणित को समन्वित कर पढ़ाना आवश्यक है। इन तीनों में घनिष्ठ व अन्योन्याश्रित सम्बन्ध है। शुद्ध गणित का प्रयोग अनुप्रयुक्त गणित में होता है। लाभ-हानि, ब्याज के प्रश्न बीजगणित से और बीजगणितीय लघुत्तम व महत्तम, वर्गमूल आदि अंकगणित से हल किये जा सकते हैं। बीजगणित के वर्ग समीकरणों को रेखागणित के माध्यम से भी हल किया जा सकता है व बीजगणित के युगपत समीकरणों को रेखागणित द्वारा पढ़ाया जा सकता है।

गणित का अन्य विषयों से सह-सम्बन्ध 

गणित का विज्ञान से सह-सम्बन्ध 

(1) गणित तथा विज्ञान- गणित और विज्ञान में घनिष्ठ सम्बन्ध है। भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान व अन्य विज्ञानों के सिद्धान्त गणित की सहायता से हल किये जाते हैं, क्योंकि समस्त प्रयोगों की सत्यता की जाँच संख्यात्मक रूप से की जाती है। जैसे- गोलीय धरातल से प्रकाश के परावर्तन तथा वर्तन आदि गोले सम्बन्धी गणित का ही उपयोग होता है। एक शिक्षाशास्त्री ने तो यहाँ तक कहा है कि- 'गणित विज्ञान के हाथ-पैर हैं तथा बिना गणित के विज्ञान की शिक्षा अधूरी रह जाती है।' रसायन विज्ञान में रासायनिक समीकरणों का सन्तुलन, कार्बनिक यौगिकों के अणुभार की गणना भी गणित द्वारा ही की जाती है।

गणित का भूगोल से सह-सम्बन्ध

(2) गणित और भूगोल- भूगोल जैसे वर्णनात्मक विषय में अनेक स्थलों पर गणित के प्रयोग की आवश्यकता होती है। दूरी सम्बन्धी मानचित्र, रेखाचित्र, ग्राफ द्वारा निर्धारित करना व पहाड़ों, तालाबों की ऊँचाई, गहराई, नहरों की लम्बाई का पता लगाना, किसी स्थान की जनसंख्या आदि भूगोल व गणित दोनों के अन्तर्गत आते हैं। भूगोल के बहुत रेखागणित व त्रिकोणमिति की सहायता के बिना सिद्ध नहीं किये जा सकते हैं। पृथ्वी की गतियों को कागज पर चिन्हित करना, ध्रुवों तथा अक्षांश की दूरी ज्ञात करना, प्रामाणिक तथा स्थानीय समय ज्ञात करने में गणित का ही काम पड़ता है। से प्रश्न

गणित का इतिहास से सह-सम्बन्ध

( 3 ) गणित तथा इतिहास- गणित अध्यापकों को गणितज्ञ का जीवन परिचय और उनका योगदान व गणित के इतिहास की पूर्ण जानकारी होनी चाहिये। एक विद्वान का कथन है- 'सांस्कृतिक विकास हेतु युगबद्ध करना अपेक्षित है तथा युगों की प्रामाणिकता, सन्, संवत् व हिजरी आदि के द्वारा ही प्रकट की जा सकती है, जो संख्यात्मक ही है। इस प्रकार गणित का इतिहास से निकटतम सम्बन्ध है।' इतिहास में शासकों का कालनिर्धारण विक्रम संवत, हिजरी संवत्, ईसवी पूर्व आदि गणित पर ही आधारित है। इतिहास - शिक्षण के समय पाइथागोरस, न्यूटन, रामानुजम् आदि गणितज्ञों का इतिहास बताकर विषय को रोचक बनाया जा सकता है।

गणित का अर्थशास्त्र से सह-सम्बन्ध

( 4 ) गणित तथा अर्थशास्त्र - अर्थशास्त्र के कई सिद्धान्त गणित की सहायता से सिद्ध किये जाते हैं तथा समंकों का सांख्यिकी द्वारा मान ज्ञात करना भी गणित द्वारा संभव है। अर्थशास्त्र की शिक्षा व्यवस्थित व सैद्धान्तिक रूप में दिया जाना गणित द्वारा ही संभव हो सकता है। सांख्यिकी का प्रयोग अर्थशास्त्र में होता है। एक व्यापारी पूरी तरह से सांख्यिकी पर निर्भर होता है। समाचार-पत्रों में भी विभिन्न प्रकार के ग्राफ अथवा सारणियों द्वारा सूचनायें दी जाती लाभ, औसत, अन्तर, प्रतिशत एवं सूत्रों जैसे शब्दों का पाठन समाचार-पत्र में किया जाता है। गणित की भाषा, नियमों व विधियों का सीधा सम्बन्ध अर्थशास्त्र से होता है। अतः गणित का ज्ञान रखने वाला व्यक्ति ही अर्थशास्त्र को भली-भाँति समझ सकता है।

गणित का भाषा से सह-सम्बन्ध

( 5 ) गणित और भाषा - भाषा की शुद्धता प्रत्येक विषय के लिये आवश्यक है। यदि गणित में भी किसी विषय की भाषा अशुद्ध है तो उसका गलत अर्थ निकल सकता है। अतः गणित - शिक्षक को बालकों की गणितीय क्रियाओं में भाषा पर भी ध्यान देना चाहिये तथा गणित सम्बन्धी शब्दों का भण्डार बढ़ाये तथा गणित की भाव-व्यंजना को सुदृढ़ बनाये ।

प्राचीन गणित तो श्लोकों के रूप में ही वर्णित होता था। जैसे-भिन्न तोड़ने का एक नियम निम्नलिखित श्लोक में बताया गया है-

का, भाग, गुणा, जोड़ और बाकी ।

पांच बात याद हैं, भिन्न न गलती ताकी।

अतः भाषा और गणित में सह-सम्बन्ध आवश्यक है।

गणित का कृषि से सह-सम्बन्ध

(6) गणित तथा कृषि - कृषि विज्ञान मुख्यतः गणित के ज्ञान पर ही निर्भर करता है। देश की कुल जनसंख्या, बीजों की मात्रा, खाद की मात्रा, जल-व्यवस्था, कुल उपजाऊ भूमि आदि का सम्बन्ध कृषि से है तथा इसमें गणित, कृषि की सहायता करता है। कृषि के छात्र व कृषि विश्वविद्यालय पूर्वानुमान हेतु गणित का उपयोग करते हैं।

गणित का मनोविज्ञान से सह-सम्बन्ध

(7) गणित तथा मनोविज्ञान- आज प्रत्येक दिशा में मनोविज्ञान के नियमों, विधियों, प्रयोगों व परिणामों का प्रयोग किया जा रहा है जिसमें गणित की भूमिका महत्वपूर्ण है । हरबर्ट महोदय का कथन है- It is not only possible but necessary that mathematics be applied to psychology.

बुद्धिलब्धि (I.Q.), मानक विचलन, सह-सम्बन्ध, काई-वर्ग, T, F एवं Z टेस्ट्स आदि सभी का प्रयोग मनोविज्ञान में हो रहा है। मनोवैज्ञानिक घटनाओं का वैज्ञानिक अध्ययन बिना सांख्यिकीय विश्लेषण के नहीं हो सकता।

गणित का दर्शनशास्त्र से सह-सम्बन्ध

(8) गणित तथा दर्शनशास्त्र- ए. एन. व्हाइटहड के अनुसार- 'Philosophers when they have possessed a through knowledge of mathematics been among those who have enriched the science with some of its best ideas.'

गणित के माध्यम से क्रमबद्धता व नियमितता से किसी तथ्य या सत्य तक पहुँचने का सही मार्ग प्राप्त होता है। अतः दार्शनिक प्रथमतः गणितज्ञ ही होते हैं। व्हाइटहैड, जे. एस. मिल, बी. रसैल जैसे दार्शनिक गणितज्ञ ही रहे हैं। मूल्यांकन में भी यथार्थता, निश्चितता केवल गणित के द्वारा ही प्राप्त की जा सकती है।

गणित का चित्रकला से सह-सम्बन्ध

( 9 ) गणित तथा चित्रकला - मूर्तिकला, चित्रकला तथा हस्तकला सभी में रेखागणितीय आकृतियों का प्रयोग किया जाता है। इसलिये हमें रेखागणितीय आकृतियों का अभ्यास होना जिस बालक को ज्यामिति का ज्ञान नहीं होता है तो वह ड्राइंग में भी निपुण नहीं होता है। रावत व अग्रवाल के अनुसार, गणित में रेखागणित व ठोस ज्यामिति की आकृतियाँ, क्षेत्रफल, आयतन व फील्ड बुक के रेखाचित्र और आँकड़ों के ग्राफ आदि बनाने का बहुत काम पड़ता है तथा चित्रों एवं आकृतियों की सुन्दरता ड्राइंग खींचने की शुद्धता पर ही निर्भर है। अतः गणित पढ़ाते समय ड्राइंग को भी समन्वित करना चाहिये तथा बालकों को सुन्दर व स्वच्छ रेखाचित्र व आकृतियों के लिये उत्साहित करते रहना चाहिये।

गणित का अभियांत्रिकी से सह-सम्बन्ध

(10) गणित एवं अभियांत्रिकी- इंजीनियरिंग की आधारशिला गणित ही है। इंजीनियर्स को भवन निर्माण, पुल निर्माण, सर्वेक्षण कार्यों, सड़क निर्माण, बाँध बनाने, मशीनें तैयार करने आदि सभी में गणितीय नियमों व गणना की आवश्यकता पड़ती है। गणित के सूत्र व नियम इंजीनियरिंग में बहुत काम आते हैं।

गणित का तर्कशास्त्र से सह-सम्बन्ध

(11) गणित एवं तर्कशास्त्र- गणितज्ञों व तर्कशास्त्रियों के उद्देश्य एक से ही होते हैं। रेखागणित व तर्कशास्त्र में अत्यन्त ही निकटता का सम्बन्ध है। रेखागणित के नियमों को

तर्कशास्त्र में उपयोग किया जाता है। सी.जी. केसर ने लिखा है, 'Symbolic logic is mathematics, mathematics is symbolic logic. '

गणित का आयुर्विज्ञान से सह-सम्बन्ध

(12) गणित एवं आयुर्विज्ञान- आयुर्विज्ञान के अन्तर्गत रसायन, भौतिकी, शरीर- विज्ञान, मनोविज्ञान आदि अनेक विज्ञानों की शाखायें शामिल हैं। इसमें गणित के महत्व को देखा जा चुका है। विभिन्न प्रकार के उपकरणों द्वारा प्राप्त परिणामों को समझने में गणित की आवश्यकता होती है।

इस प्रकार विद्यालयों में शिक्षकों को चाहिये कि अवसर आने पर गणित का सम्बन्ध अन्य विषयों के साथ छात्रों को अवश्य बतायें।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad