उपमा अलंकार किसे कहते हैं ?परिभाषा ,उदाहरण | upma alankar Kise kahate Hain
प्रिय विद्यार्थियों आज के इस महत्वपूर्ण पोस्ट में हम
उपमा अलंकार की परिभाषा और उदाहरण जानेंगे ।उपमा अलंकार की परिभाषा लिखिए और उसके उदाहरण बताइए है प्रश्न अगर आप गूगल पर सर्च कर रहे हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं क्योंकि इस पोस्ट में आपको उपमा अलंकार की सरल परिभाषा बताई जाएगी और यदि आपको यह पोस्ट पसंद आती है तो अभी सभी दोस्तों के साथ शेयर भी करें ।
परिभाषा (लक्षण) - जहां किसी वस्तु या व्यक्ति की किसी अन्य वस्तु या व्यक्ति से समान गुण धर्म के आधार पर तुलना की जाए या समानता बताई जाए, वहां उपमा अलंकार होता है;
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जैसे-"राधा के चरण गुलाब के समान कोमल हैं।"
यहां राधा के चरण की तुलना या समानता गुलाब से दिखाई गई है। इसलिए यहां उपमा अलंकार है। उपमा अलंकार के निम्नलिखित चार अंग होते हैं-
1.उपमेय - जिस वस्तु की समानता बताई जाती है; वह उपमेय (प्रस्तुत) होता है। ऊपर दिए गए उदाहरण में 'राधा के चरण' उपमेय हैं।
2. उपमान - जिस वस्तु से समानता की जाती है; वह वस्तु उपमान (अप्रस्तुत) कहलाती है। ऊपर दिए गए उदाहरण में 'गुलाब' उपमान है।
3. वाचक - समानता अथवा पहचान को व्यक्त करने वाला शब्द 'वाचक' कहलाता है। ऊपर दिए गए उदाहरण में 'समान' शब्द वाचक है।
4. साधारण धर्म - जो गुण उपमान और उपमेय में समान रूप से रहता है; वह साधारण धर्म कहलाता है। ऊपर दिए गए उदाहरण में 'कोमल' शब्द साधारण धर्म है; क्योंकि यह राधा के चरण और गुलाब दोनों में है।
उदाहरण -
1.'हरिपद कोमल कमल से।'
स्पष्टीकरण-
उपमेय - हरिपद।
उपमान - कमल।
वाचक शब्द - से।
साधारण धर्म - कोमल।
2. 'पीपर पात सरिस मन डोला'।
स्पष्टीकरण -
उपमेय - मन।
उपमान - पीपर पात।
वाचक शब्द - सरिस।
साधारण धर्म - डोला।
अन्य उदाहरण -
1. यहीं कहीं पर बिखर गई वह, भग्न विजय माला सी।
2. आहुति-सी गिर चढ़ी चिता पर, चमक उठी ज्वाला-सी।
3. तम के तागे-सी जो हिल-डुल, चलती लघु पद पल-पल मिल-जुल।
4. करि कर सरिस सुभग भुजदंडा।
5. अनुलेपन-सा मधुर स्पर्श था।
6. सजल नीरज-सी कल कांति थी।
7. अराति सैन्य सिंधु में सुबाड वाग्नि-से जलो।
8. कर कमल - सा कोमल हैं
9. नील गगन सा शांत हृदय था रो रहा।
10. हाय फूल सी कोमल बच्ची, हुई राख की ढेरी थी ।
11. यह देखी ,अरविंद- शिशु वृंद कैसे सो रहे |
12. मुख बाल रवि सम लाल होकर ज्वाला सा हुआ बोधित ।
13. नदियां जिनकी यशधारा सी बहती है अब निशि वासन ।
14. उतर रही है संध्या सुंदरी परी सी
15.निर्मल तेरा अमृत के सम उत्तम है
16. भूली सी एक छुअन बनता हर जीवित छण ।
17. स्वान रूप संसार हे ।
18. वेदना बोझिल सी
19. कुन्द इन्दु सन देह , उमा रमन वरुण अमन ।
20. माँ सरीखी अभी जैसे मंदिरो में चढ़कर खुशरंग फूल ।