अणुसंख्यक गुणधर्म क्या है,अणुसंख्य गुणधर्म क्या है,परिभाषा और प्रकार(Colligative properties in Hindi)
प्रिय विद्यार्थियों आज की इस महत्वपूर्ण पोस्ट में हम देखने वाले हैं अणुसंख्यक गुणधर्म । आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे अणुसंख्य गुणधर्म किसे कहते हैं या अणुसंख्य गुणधर्म की परिभाषा दीजिए । हम यही भी जानेंगे कि अणुसंख्यक गुणधर्म किस पर निर्भर करते हैं ।इस पोस्ट में हम आसान भाषा में अणुसंख्यक गुणधर्म की परिभाषा के बारे में जानेंगे । हम यही भी जानेंगे कि अणुसंख्यक गुणधर्म को कितने भागों में बांटा गया है ।यदि आपको यह पोस्ट पसंद आती है तो अपने सभी दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें ।
अणुसंख्यक गुणधर्म क्या है ?What is colligative properties
विलियन कि ऐसे गुण जो उसमें उपस्थित विलेय के अणुओं की संख्या पर निर्भर करते हो न की उसकी प्रकृति पर अणुसंख्यक गुणधर्म (colligative properties ) कहलाते हैं ।
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अणुसंख्यक गुणधर्म को कितने भागों में बांटा गया है ?
प्रमुख अणुसंख्यक गुणधर्म चार प्रकार के होते हैं -
🔸वाष्पदाब में आपेक्षिक अवनमन (Relative depression of stream pressure)
🔸क्वथनांक में उन्नयन (Boiling point)
🔸हिमांक में अवनमन (Freezing point)
🔸परासरण दाब (Osmotic pressure of the solution)
वाष्पदाब में आपेक्षिक अवनमन
वाष्पदाब में आपेक्षिक अवनमन
जब किसी शुद्ध विलायक (pure solvent) में अवाष्पशील विलेय मिलाया जाता है तो प्राप्त विलयन के वाष्पदाब में कमी हो जाती है वाष्पदाब में होने वाली इस कमी को वाष्पदाब में अवनमन (lowering of vapour pressure) कहते हैं ।
वाष्पदाब में अवनमन और शुद्ध विलायक के वाष्पदाव के अनुपात को वाष्पदाब में आपेक्षिक अवनमन कहते हैं ।
वाष्पदाब में आपेक्षिक अवनमन =
क्वथनांक में उन्नयन
क्वथनांक में उन्नयन
जब किसी वाष्पशील विलायक में अवाष्पशील विलेय मिलाया जाता है तो प्राप्त बिलियन के वाष्प दाब में कमी हो जाती है इसलिए विलियन का क्वथनांक बढ़ जाता है, क्वथनांक में होने वाली इस वृद्धि को क्वथनांक में उन्नयन कहते हैं ।
माना शुद्ध विलायक का क्वथनांक (T1) टी वन है इसमें अवाष्पशील विलेय मिलाने पर क्वथनांक बढ़ कर (T2) टी 2 हो जाता है तब क्वथनांक में उन्नयन
क्वथनांक में उन्नयन = T2 - T1
हिमांक में अवनमन
हिमांक में अवनमन
जब किसी शुद्ध विलायक में अवाष्पशील विलेय मिलाया जाता है तो प्राप्त विलयन के वाष्प दाब में कमी हो जाती है इसलिए विलियन का हिमांक भी कम हो जाता है । हिमांक में होने वाली इस कमी को हिमांक में अवनमन कहते हैं ।
माना शुद्ध विलायक का हिमांक (T1) टी वन है इसमें अवाष्पशील विलेय मिलाने पर प्राप्त विलयन का हिमांक घटकर (T2) टी 2 हो जाता है तब हिमांक में अवनमन
हिमांक में अवनमन = T1 - T2
परासरण दाब
परासरण दाब
परासरण की क्रिया को रोकने के लिए विलयन पर लगाए गए बाह्य दाब को परासरण दाब कहते हैं ।
or
परासरण दाब उस द्रव स्थैतिक दाब के बराबर होता है जो विलायक के अणुओं को बिलियन में प्रवेश करने से रोकता है ।